यह शब्द प्रतीक है " हिन्दुत्व" का ।
शिवजयंती का पर्व हर्षोल्हास से मनाया गया। प्रत्येक चौराहे, नुक्कड, नाके पर शिवजयंती के उत्सव समारोह की झलकीया दिखायी दी। प्रत्येक ग्राम, नगर, शहर केसरीय रंग मे रंग गया। पुणे मे तो यह उत्सव गणेशोस्तव के समान ही जोश, परंपरा व शक्ती की अभिव्यक्ती थी। गत कुछ वर्षोंसे यह परीवर्तन होते हुए हमने साक्षी किया है। यह एक शुभ संकेत है भारतवर्ष के लिये। शिवाजी महाराज केवल एक राजा नही अपितु एक हिन्दु राजा थे वह भी ऍसे समय संघर्षरत होकर स्वराज्य स्थापित किया की जब भारतभुमी मे कोई भी हिन्दु राजा होना संभव ही नही ऍसी लोकभावना बनायी गयी थी। अनेको शत्रुओंका सामना किया उसमे हिन्दु भी थे एवम अहिन्दु भी थे। अनेको किले बनाये, जीते। अनेको भुमीपुत्रोंको मा भारती की स्वतंत्रता हेतु प्राणार्पण करने की प्रेरणा व्याख्यानोंसे नही अतः अपने कर्मोंसे दी। महाराज की सबसे बडी उपलब्धी थी महारष्ट्र के योध्दा, जीन्हे "मावळे" नामसे भी जाना जाता है। हिन्दवी स्वराज्य के इतिहास मे शिवाजी महाराज का नाम ध्रुव तारे जैसा है जहातक शायद ही कोई पहुंच पाये। शिवाजी यह शब्द प्रतीक है हिन्दवी स्वराज्य का, प्रतीक है उनके लक्ष्य का जो आउसाहेब जिजाउ ने उन्हे दिया था। यह शब्द प्रतीक है स्वतंत्रता का।शौर्य, वीर्य का। यह प्रतीक केवल एक व्यक्ति जिसका नाम "शिवाजी" था उसका नही अपितु यह प्रतीक है हर उस "मावळे" का जिसका नाम भी इतिहास को ज्ञात नही हुआ। और ऍसे मावळे अनगिणत थे। उन मातओंका जिन्होने वीर पुत्र मा भारती के चरणोंमे न्योछावर कर दिये, यह शब्द प्रतीक है उन पत्नीओंका जिन्होने अपने सिण्दुर से स्वराज्य का तीलक किया। शिवाजी यह शब्द प्रतीक देव, देश व धर्म के प्रती सर्वोतोपरी निष्टा का । यह शब्द प्रतीक है " हिन्दुत्व" का ।